Sunday, 3 November 2019

गोपाष्‍टमी: भगवान कृष्‍ण ने गांव वालों की रक्षा करके ऐसे दूर किया इंद्र का अहंकार

गोपाष्‍टमी: भगवान कृष्‍ण ने गांव वालों की रक्षा करके ऐसे दूर किया इंद्र का अहंकार
  
कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी का आयोजन किया जाता है। मुख्य रूप से यह गोपूजन से जुड़ा पर्व है। इस दिन गौ का पूजन और अर्चन किया जाता है। कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने इस दिन से ही गौओं को चराना आरंभ किया था। इससे पहले वे केवल गाय के बछड़ों को ही चराया करते थे। इस साल गोपाष्‍टमी 4 नवंबर यानी आज मनाई जा रही है। इस दिन गौ और उनके बछड़ों का श्रृंगार करके उनकी आरती उतारी जाती है। माना जाता है कि गौ के शरीर में अनेक देवताओं का वास होता है। इसलिए गौ की पूजा करने से उन देवताओं की भी पूजा स्वत: हो जाती है। गौ की परिक्रमा भी लाभ देती है। आइए जानते हैं इस त्‍योहार से जुड़ी मान्‍यताएं और इस दिन क्‍या-क्‍या करना चाहिए…

1/5भगवान कृष्‍ण ने थामा था गोवर्धन पर्वत

गोपाष्टमी महोत्सव गोवर्धन पर्वत से जुड़ा उत्सव है। गोवर्धन पर्वत को द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा से लेकर सप्तमी तक गाय व सभी गोप-गोपियों की रक्षा के लिए अपनी एक अंगुली पर धारण किया था। गोवर्धन पर्वत को धारण करते समय गोप-गोपिकाओं ने अपनी-अपनी लाठियों का भी टिका दिया था, जिसका उन्हें अहंकार हो गया कि हम लोगों ने ही गोवर्धन को धारण किया है । उनके अहं को दूर करने के लिए भगवान ने अपनी अंगुली थोड़ी तिरछी की तो पर्वत नीचे आने लगा। तब सभी ने एक साथ शरणागति की पुकार लगायी और भगवान ने पर्वत को फिर से थाम लिया।

2/5दूर किया था इंद्र का अहंकार



देवराज इन्द्र को भी अहंकार था कि मेरे प्रलयकारी मेघों की प्रचंड बौछारों को श्रीकृष्ण और उनके ग्‍वालवाल नहीं झेल पाएंगे। परंतु जब लगातार 7 दिन तक प्रलयकारी वर्षा के बाद भी श्रीकृष्ण अडिग रहे, तब 8वें दिन इन्द्र की आंखें खुलीं और उनका अहंकार दूर हुआ। तब वह भगवान श्रीकृष्ण की शरण में आए और क्षमा मांगकर उनकी स्तुति की। कामधेनु ने भगवान का अभिषेक किया और उसी दिन से भगवान का एक नाम ‘गोविंद’ पड़ा । वह कार्तिक शुक्ल अष्टमी का दिन था। उस दिन से गोपाष्टमी का उत्सव मनाया जाने लगा, जो अब तक चला आ रहा है।

3/5ऐसे मनाएं गोपाष्टमी पर्व
इस दिन गायों को स्नान कराएं। तिलक करके पूजन करें व गोग्रास दें। गायों को अनुकूल हो ऐसे खाद्य पदार्थ खिलाएं, सात परिक्रमा व प्रार्थना करें तथा गाय की चरणरज सिर पर लगाएं। इससे मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं एवं सौभाग्य की वृद्धि होती है।


गोपाष्टमी के दिन सायंकाल गायें चरकर जब वापस आएं तो उस समय भी उनका आतिथ्य, अभिवादन और पंचोपचार-पूजन करके उन्हें कुछ खिलाएं और उनकी चरणरज को मस्तक पर धारण करें, इससे सौभाग्य की वृद्धि होती है

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