Friday, 19 April 2019

प्रभु पहिचानि परेउ गहि चरना। सो सुख उमा जाइ नहिं बरना॥ पुलकित तन मुख आव न बचना। देखत रुचिर बेष कै रचना ।। पुनि धीरजु धरि अस्तुति कीन्ही। हरष हृदयँ निज नाथहि चीन्ही॥ मोर न्याउ मैं पूछा साईं। तुम्ह पूछहु कस नर की नाईं॥ #_जय_श्री_राम

No comments:

Post a Comment