श्रीदुर्गाष्टोत्तार्शत्ननाम्स्त्रोतम शंकर जी पार्वती जी से कहते हैं ---कमलानने ! अष्टोत्तरशत नाम का वर्णन करता हूँ , सुनो I जिसके प्रसाद (पाठ या श्रवण ) मात्र से परम साध्वी भगवती दुर्गा प्रसन्न हो जाती है II १ ॐ सती २ साध्वी ३ भवप्रीता (भगवान शिव पर प्रीति रखनेवाली ) ४ भवानी ५ भवमोचनी(संसार बंधन से मुक्त करने वाली ) ६ आर्या ७ दुर्गा ८ जया ९ आद्या १० त्रिनेत्रा ११ शूलधारिणी १२ पिनाकधारिणी १३ चित्रा १४ चंडघण्टा १५ महातपा:(भरी तपस्या करने वाली ) १६ मन: (मनन - शक्ति) १७ बुद्धि: (बोधशक्ति ) १८ अहंकारा (अहंता का आश्रय ) १९ चित्तरूपा २०चिता २१ चिति:(चेतना ) २२ सर्व- मन्त्र मयी २३ सत्ता (सत् -स्वरूपा ) २४ सत्यानन्दस्वरूप्नी २५ अनन्ता (जिस्केस्वरूप कहीं अंत नहीं ) २६ भाविनी(सबको उत्पन्न करने वाली ) २७ भाव्या ( भावना एवं ध्यान करने योग्य ) २८ भव्या ( कल्याणरूपा ) २९ अभव्या ( जिस बढ कर भव्य कहीं है नहीं ) ३० सदा -गति: ३१ शाम्भवी (शिव प्रिय ) ३२ देव माता ३३ चिंता ३४ रत्न प्रिया ३५सर्व विद्या ३६ दक्ष कन्या ३७ दक्ष यज्ञविनाशनी ३८ अपर्णा ( तपस्या के समय पत्तों को भी न खाने वाली ) ३९ अनेक वर्णा (अनेक रंगों वाली) ४० पाटला (लाल रंग वाली ) ४१ पाटलावती ( गुलाब के फूल या लाल फूल धारण करने वाली ) ४२ पट्टाम्बर परिधारना ( रेशमी वस्त्र पहनने वाली ) ४३ कल मंज्ज़िर रंज्जनी ( मदुर धवनी करने वाले मंज्ज़िर को धारण करके प्रसन्न रहने वाली ) ४४ अमेयविक्रमा ( असीम परक्रमवाली ) ४५ क्रूरा ( दैत्यों के प्रति कठोर ) ४६ सुंदरी ४७ सुरसुन्दरी ४८ वनदुर्गा ४९ मात न्ड्गी ५० मतंगमुनि पूजिता ५१ ब्राह्मी ५२ माहेश्वरी ५३ ऐन्द्री ५४ कौमारी ५५ वैष्णवी ५६ चामुंडा ५७ वाराही ५८ लक्ष्मी: ५९ पुरुषाकृति : ६० विमला ६१ उत्कर्शिनी ६२ ज्ञाना ६४ नित्या ६५ बुद्धिदा ६६ बहुला ६७ बहुलप्रेमा ६८ सर्ववहानवाहना ६९ निशुम्भशुम्भहननी ७० महिषासुरमर्दिनी ७१ मधुकैटभह्न्त्री ७२ चंडमुंडविनाशनी ७३ सर्वासुरविनाशा ७४ सर्वदानवघातिनी ७५ सर्वशास्त्र्मायी ७६ सत्या ७७ सर्वास्त्रधारिणी ७८ अनेकशास्त्रहस्ता ७९ अनेकास्त्रधारिणी ८० कुमारी ८१ एक कन्या ८२ कैशौरी ८३ युवती ८४ यति: ८५ अप्रौढा ८६ प्रौढ़ा ८७ वृद्दमाता ८८ बलप्रदा ८९ महोदरी ९० मुक्तकेशी ९१ घोररूपा ९२ महाबली ९३ अग्निज्वाला ९४ रौद्रमुखी ९५ कालरात्रि: ९६ तपस्वनी ९७ नारायणी ९८ भद्रकाली ९९ विष्णुमाया १०० जलोदरी १०१ शिवदूती १०२ कराली १०३ अनन्ता ( विनाशरहिता ) १०४ परमेश्वरी १०५ कत्यानी १०६ सावित्री १०७ प्रत्यक्षा १०८ ब्रह्मवादिनी • जो भगवती दुर्गा के इन 108 नामों का नित्य पाठ करता है उसके लिए तीनों लोकों में कुछ भी असाध्य (अप्राप्य)नहीं रहता । इस लोक में रहते हुए वह धन ,धान्य,पुत्र,अश्व एवं हाथी आदि ऐश्वर्य का भोग करते हुए धर्म ,अर्थ , काम व मोक्ष को प्राप्त करता है तथा अन्त में शाश्वत (नित्य) मुक्ति को प्राप्त होता है
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श्री राम के दादा परदादा का नाम क्या था? नहीं तो जानिये- 1 - ब्रह्मा जी से मरीचि हुए, 2 - मरीचि के पुत्र कश्यप हुए, 3 - कश्यप के पुत्र विवस्वान थे, 4 - विवस्वान के वैवस्वत मनु हुए.वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था, 5 - वैवस्वतमनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था, इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुलकी स्थापना की | 6 - इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए, 7 - कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था, 8 - विकुक्षि के पुत्र बाण हुए, 9 - बाण के पुत्र अनरण्य हुए, 10- अनरण्य से पृथु हुए, 11- पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ, 12- त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए, 13- धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था, 14- युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए, 15- मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ, 16- सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित, 17- ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए, 18- भरत के पुत्र असित हुए, 19- असित के पुत्र सगर हुए, 20- सगर के पुत्र का नाम असमंज था, 21- असमंज के पुत्र अंशुमान हुए, 22- अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए, 23- दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए, भागीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतारा था.भागीरथ के पुत्र ककुत्स्थ थे | 24- ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए, रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया, तब से श्री राम के कुल को रघु कुल भी कहा जाता है | 25- रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए, 26- प्रवृद्ध के पुत्र शंखण थे, 27- शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए, 28- सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था, 29- अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग हुए, 30- शीघ्रग के पुत्र मरु हुए, 31- मरु के पुत्र प्रशुश्रुक थे, 32- प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए, 33- अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था, 34- नहुष के पुत्र ययाति हुए, 35- ययाति के पुत्र नाभाग हुए, 36- नाभाग के पुत्र का नाम अज था, 37- अज के पुत्र दशरथ हुए, 38- दशरथ के चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हुए | इस प्रकार ब्रह्मा की उन्चालिसवी (39) पीढ़ी में श्रीराम का जन्म हुआ | शेयर करे ताकि हर हिंदू इस जानकारी को जाने.. 🏹रामचरित मानस के कुछ रोचक तथ्य🏹 1:~लंका में राम जी = 111 दिन रहे। 2:~लंका में सीताजी = 435 दिन रहीं। 3:~मानस में श्लोक संख्या = 27 है। 4:~मानस में चोपाई संख्या = 4608 है। 5:~मानस में दोहा संख्या = 1074 है। 6:~मानस में सोरठा संख्या = 207 है। 7:~मानस में छन्द संख्या = 86 है। 8:~सुग्रीव में बल था = 10000 हाथियों का। 9:~सीता रानी बनीं = 33वर्ष की उम्र में। 10:~मानस रचना के समय तुलसीदास की उम्र = 77 वर्ष थी। 11:~पुष्पक विमान की चाल = 400 मील/घण्टा थी। 12:~रामादल व रावण दल का युद्ध = 87 दिन चला। 13:~राम रावण युद्ध = 32 दिन चला। 14:~सेतु निर्माण = 5 दिन में हुआ। 15:~नलनील के पिता = विश्वकर्मा जी हैं। 16:~त्रिजटा के पिता = विभीषण हैं। 17:~विश्वामित्र राम को ले गए =10 दिन के लिए। 18:~राम ने रावण को सबसे पहले मारा था = 6 वर्ष की उम्र में। 19:~रावण को जिन्दा किया = सुखेन बेद ने नाभि में अमृत रखकर। यह जानकारी महीनों के परिश्रम केबाद आपके सम्मुख प्रस्तुत है । तीन को भेज कर धर्म लाभ कमाये ।।
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