Sunday, 12 May 2024

माँ !*माँ जैसा कोई नही , न कोई था न कोई होगा , न ही धरा पर, न ही अम्बर पे।*वो तो श्वेत,सहज सरलता की मूर्ति हैं, अपने आँचल में प्रेम रखती हैं, माँ तो सिर्फ माँ होती हैं , सदैव करेजा में हमार प्राण रखती हैं।*माँ पे क्या लिखूं , तू ही बताओ भगवान जिसने मुझे लिखना सिखाया उसपे क्या लिखूं ?*खुद जाग कर मुझे सुलाया, खाली पेट रहकर मुझे खिलाया,रातो के डर से मुझे बचा कर जीवन का सत्य मार्ग दिखाया,माँ तो सिर्फ माँ होती हैं ,माँ जैसा कोई नही न नील गगन में।#jkdubeybjp #jitendradubey#kashipur #uttarakhand

No comments:

Post a Comment