Wednesday 31 March 2021

माँ ! माँ जैसा कोई नही , न कोई था न कोई होगा , न ही धरा पर, न ही अम्बर पे। वो तो श्वेत, स्वेत सहज सरलता की मूर्ति हैं, अपने आँचल में प्रेम रखती हैं, माँ तो सिर्फ माँ होती हैं , सदैव करेजा में हमार प्राण रखती हैं। माँ पे क्या लिखूं , तू ही बता भगवान जिसने मुझे लिखना सिखाया उसपे क्या लिखूं। खुद जाग कर मुझे सुलाया, खाली पेट रहकर मुझे खिलाया, स्याह रातो के डर से मुझे बचा कर जीवन का सत्य मार्ग दिखाया, माँ तो सिर्फ माँ होती हैं , माँ जैसा कोई नही न नील गगन में, न ही दूसरे जन्म में।

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